तुम ही हो भोलेनाथ तुम ही हो प्राणनाथ तुम ही तों बाबा भोले भंडारी हो

दोहा – पापोहं पाप कर्माहं पापात्मा पाप संभवः।
        त्राहि मां पार्वतीनाथ सर्व पापहरो हर।
      मंत्रहीनं क्रियाहीनं, भक्तिहीनं सदाशिव,
      यत्पूजितं मया देव, परिपूर्ण तदस्तु मे”

तुम ही हो भोलेनाथ तुम ही हो प्राणनाथ
तुम ही तों बाबा भोले भंडारी हो
जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे
तुम हीअभयदानी तुम ही महावरदानी हो

चरणों में तेरे बाबा जग मुझे दीजिए
गलती हुई है भोले क्षमा कर दीजिए
तुम में ही हो शांत रूप तुम ही शिव रूप,
हाथों में शंभू त्रिशूल धारी हो
जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे….

कुछ नहीं मेरा बाबा सब कुछ तेरा है
चरणों में तेरे बाबा दास का बसेरा है
डमरु बजा रहे हैं भोले बाबा मेरे तुम साथ मेरे,
तुम ही शंभू शमशान वासी हो
जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे….

कोई कहे भोलेनाथ कोई कहे महाकाल
कोई कहे विश्वनाथ बने मेरे ढाल है
नंदी की सवारी करें नाग माला धारण करें,
तुम ही भोले बाबा कैलाश वाशी हो
जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे….

अपराध हमसे हुए हैं भारी भोलेनाथ
लकी को भोले तेरा साथ अब चाहिए
कण –  कण में समाए  हुए बाबा तुम
पल  – पल  तुम गमों को काटते,
ख्वाहिश मेरी बाबा मैं बनू काशी का वासी हो
जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे….

तर्ज – काशी विश्व नाथ महिमा पर आधारित

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